Kuch Hasin Yaadein

Kuch Hasin Yaadein

रविवार, 29 अगस्त 2021

 

  ये जो शिकवे हैं तुम्हारे

    खर्च कर दूँगा मैं सारे।

   और जमा कर लूँगा सब

    साथ मुस्कराने के पल हमारे ।।

   जानता हूं ऐसे पल कम ही है

    कम हैं  तभी तो कीमती है।

    ये जो जमा हो रहे हैं पल

     सवारेंगे आने वाला कल ।।

    कल जब ढल जायेगी उम्र,

    और तेवर हो जायेंगे नर्म

    हम इस पिटारे को खोलेंगे,

    कुछ और अच्छे पल जी लेंगे ।।

रविवार, 3 नवंबर 2019

छोटे- बड़े सपने तो सभी के पास होते हैं ,
कुछ लोगों के लेकिन सपनों के जहाँ होते हैं |
क़ायम रखते हैं जो शिद्दत से इस जहाँ को ,
क़ामयाब अक़सर वही लोग यहाँ होते हैं || 

सोमवार, 10 दिसंबर 2018

माना तुम्हारा गुनाहगार हूँ मैं, और सज़ा का हक़दार भी हूँ।

बस इसी वजह से तुम्हारे दिलोजान में गिरफ्तार भी हूँ ।।

इस खुबसूरत सज़ा की मोहलत है सिर्फ उम्र मेरी।

क्यूंकि कुछ मोहब्बत भरे लम्हों का कर्ज़दार भी हूँ ।।

शनिवार, 14 जुलाई 2012

आशा

मेरे प्रेम के ना कोई बोल ना  ही कोई भाषा है !
ये तो बस नादाँ  दिल की छोटी सी आशा है !!
आशा है थोडा सा प्रेम  पाने की, मुस्कुराने की !
किसी दिल में जिंदा रह पाने की अभिलाषा है !!


सोमवार, 14 मार्च 2011

अग्निचक्र !!

जनता  की  लूट  कर  जेब , सरकारी  अफसर  खा  रहे  है  सेब !
जिसकी  तनख्वा  पाते  हैं ,  उसी  काम  का  पैसा  मांगते  साहेब !!

क्यूँ नहीं ? आखिर  जो  देगा  वो  तो  लेगा  ही,
जितना  दिया  है ,  दोगुना   वसूलेगा   ही !!

मैंने  दिया  और   मेरा  काम  हो  गया  
लेने  वाला  लेकिन  और  भूखा  हो  गया !!

देते   जाइये   और  फिर  लेते  जाइये  

लेन - देन  एक  अग्निचक्र  ऐसा  है 
जिसका   केंद्रबिंदु   सिर्फ  पैसा  है  !!

जलाने  वाले  इसके  बाहर  बैठे  हो  रहे  माला-माल    
जलने   वाले   अन्दर  फंसकर  हो  गए   कंगाल  !!

इस  कंगाली    को   खंगालिए 
ज़रा  अपने  को  संभालिये  !! 

ईमानदारी   भी  एक  समंदर  है  
जिसका   बाहर  ना  अन्दर  है !!

 खारे  पानी   से  प्यास  तो  बुझती   नहीं  
 काफी   है  लेकिन  आग  बुझाने  के   लिए  !!

चक्र   चाहे   कितना   ही   बड़ा  क्यूँ  ना  हो 
एक  लहर   ही  काफी  है  इसको  बहाने  के  लिए !!

  
ये  ज़िन्दगी   है  इक  पतंग, ना  होना  इससे   तंग !

है   मांजा  अपने  हाथ   तो  उड़ती  ही  चली   जाएगी ,
जो   छोड़  दिया  तो  फिर  कभी  हाथ   ना  आएगी  !!

मांजा  संभालने   में   अक्सर  उंगली   तो  कटती   है,
लेकिन   मेरे  दोस्त  ज़िन्दगी  तो  ऐसे ही  पटती    है !!


शनिवार, 18 दिसंबर 2010

यादें....

यूँ तो बहुत सुनहरी सी होती है ये यादें,
लेकिन कहाँ याद रह पाती हैं सभी यादें
जब कभी परत दर परत खुलती हैं ये यादें,
याद आते हैं कुछ अपने और उनकी हज़ारों यादें
आंखें नम कर जाती हैं कुछ बेहतरीन यादें,
और दे जाती है इक मुस्कुराहट कुछ ग़मगीन यादें
वो बचपन की यादें , लड़कपन की यादें और फिर कुछ जवानी की यादें,
हँसती- खिलखिलाती , रुठती- मनाती, समझती - समझाती यादें
तभी तो कहलाती हैं ये सुनहरी सी यादें ......

गुरुवार, 25 नवंबर 2010

मेरी ज़िन्दगी..

कभी पतझड़ तो कभी बहार है ज़िन्दगी,
कभी उदासी तो कभी इक निखार है ज़िंदगी !
और क्या कहूँ इस ज़िन्दगी के बारे में,
कभी दुश्मन तो कभी जैसे मेरा इक यार है ज़िन्दगी !!

रविवार, 21 नवंबर 2010

तय किया करते थे कभी सर्द बर्फ से गर्म अंगारों का सफ़र,
आज प्यार की नर्म राहों पर भी सहमे - सहमे चलते है !
पिघला सकते थे पत्थर को भी कभी मोम की तरह,
अब मोम से ही बनी शमा से डरते है !!
जाने ऐसा कब हुआ और क्यूँ हुआ ?
हम अपनी तन्हाई से अब अक्सर ये पूछा करते है !!!

मंगलवार, 19 अक्तूबर 2010

मेरे जीवन साथी !!

" ओ मेरे जीवन साथी "
कैसे जाओगे मेरी बाहों से निकलकर इन निगाहों से दूर ,
तुम्हारे प्यार की तड़प से निकलती इन आहों से दूर ,
चले भी गए ग़र दूर अपनी मंजिल से , जा पाओगे कभी इन राहों से दूर ??
" ओ मेरे जीवन साथी "

रविवार, 25 अप्रैल 2010

कल और आज !!

आग़ोश में होते थे जब तुम, जाते हुए वक़्त का हाथ थामने की कोशिश किया करते थे !

उन चन्द हसीं लम्हों को दिल के किसी कोने में क़ैद करने की कोशिश किया करते थे !

जो नहीं बदला वो ये कि ,
तुमसे अनजान बनने की कोशिश आज भी करते हैं और कल भी किया करते थे !!

शनिवार, 24 अप्रैल 2010

कैसे ??

रूठ गई सजनी, मनाऊं कैसे ?
दिल खोल के अपना, दिखाऊं कैसे ??

वो चाँद सा प्यारा हमदम है मेरा !
उसी की चाँदनी उस पर लुटाऊं कैसे ??

फुरसत ??

चार फुरसत के पल चाहता हूँ अब जीने के लिए !
एक झरोखा और एक साथी मेरे साथ जीने के लिए !!

कुछ हिम्मत उलझी हुई ज़िन्दगी सीने के लिए !
और बस वो चार पल फुरसत के जीने के लिए !!

गुरुवार, 21 जनवरी 2010

मेरा मन

मेरा उदास मन , सोचता है किधर जाऊं !

इधर जाऊं या उधर जाऊं !!

कर्तव्यों में संकोच न करूँ !

मर्यादा का उल्लंघन न करूँ !!

स्नेह को देता हुआ - पाता हुआ !

शालीनता से सबको निभा जाऊं !!

शनिवार, 27 जून 2009

हिना !!

हाँ जानता हूँ मैं तुमको, हिना हो तुम !!

भर देती है जो ज़ख्मों को, वो हिना हो तुम !
ताज़गी देती है खुशबू जिसकी, वो हिना हो तुम !
रच जाती है जो खुशी के रंग में, वो हिना हो तुम !!

सुन्दरता जिसका उपहार है, वो हिना हो तुम !
सादगी जिसका श्रृंगार है, वो हिना हो तुम !
भोली है, मासूम है जो, वो हिना हो तुम !!

मेरी हर धड़कन की गवाह है जो, वो हिना हो तुम !
मेरी हर खुशी की लहर है जो, वो हिना हो तुम !!

मेरा दिल, मेरा अरमान है जो, वो हिना हो तुम !
मेरा गुरूर, मेरा ऐतबार है जो, वो हिना हो तुम !!

जान लो आज ये मुझसे, मेरी हिना हो तुम !!